माँ वैसे तो मैंने हमेशा तुम्हें 'आप' कहकर पुकारा है
पर ना जाने क्यूँ जब अपने हृदयोद्गार पंक्तिबद्ध करने बैठी हूँ तो तुम्हे 'तुम' कहकर पुकारना मुझे सहज लग रहा है! तुमसे मैँ जब जब मिलती हूँ बहुत कुछ कह जाना चाहती हूँ किन्तु मेरा अंतर्मुखी व्यक्तित्व मुझे सदैव रोक लेता है! पर आज मैँ वो सब कुछ कह देना चाहती हूँ इस कविता के माध्यम से जिसके शब्द मेरे अंतर्मन की भूमि पर अंकुरित हो अब पुष्पित पल्लवित होने लगे हैं और मैँ यह श्रद्धा सुमन तुम्हे अर्पित करना चाहती हूँ!!
तुम्हारे स्नेहसिक्त आँचल में मैंने अपने जीवन के स्वर्णिम पल व्यतीत किये हैं!
और जाना है कि इससे सुन्दरतम और शांतिदायक इस धरा पर कोई और जगह नहीं है!
मैँ आज भी गुनगुनाती हूँ तुम्हारी गाई हुई लोरियां,
तुम करुणा का, स्नेह का सागर हो!!
माँ तुम कौशल्या हो,
तुम्हारे हाथों को पकड़कर मैंने बड़ी बड़ी कठिनाइयां मुस्कुरा कर पार की हैं!
इन्ही हाथों के सहारे से तुमने मेरे जीवन को आकार दिया इसे संवारा है!
मुझे याद हैं तुम्हारी शिक्षाप्रद कहानियां जिनमे मैँ आज भी अपनी समस्याओं के हल आसानी से खोज लेती हूँ,
तुम मेरी पथप्रदर्शक, मार्गदर्शक हो!!
माँ तुम गायत्री हो,
तुम मेरी प्रथम और सर्वश्रेष्ठ गुरु हो, मेरी हर परीक्षा की घड़ी तुम्हारे लिए जगराता थी!
तुमने मुझे भीड़ से अलग चलना सिखाया और समय से मूलयवान कुछ नहीं यह बताया!
तुमने मेरे व्यक्तित्व को निखारा और मुझे अपने मूल्य का ज्ञान कराया!
मुझे याद है तुम्हारी दी हुई एक एक शिक्षा कि जीवन सिर्फ यूँही जी लेने के लिए नहीं किन्तु कुछ ऐसा कर गुजरने के लिए मिला है कि मैँ अपनी छाप छोड़कर जा सकूँ,
तुम ज्ञान का, प्रेरणा का स्रोत हो!!
माँ तुम दुर्गा हो,
तुम्हारे स्नेह से सिंचित परिवार पर जब भी कोई आपदा आई तुमने उस विपत्ति पर वार किया है!
जब कभी परिजनों पर बुराई का भस्मासुर हावी हुआ तुमने देवी बन उसका संहार किया है!
मैंने तुम्ही से सीखा है मुश्किलों में साहस बटोरना और अनैतिकता का डटकर मुकाबला करना,
तुम शक्ति का, तेज का पुंज हो!!
माँ तुम सीता हो,
तुमने अपने प्रेम, त्याग और तपस्या से अपना गृहस्थ जीवन सींचा है!
और मेरे लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है!
तुमने मुझे सिखाया कि विवाह के वस्त्र, आभूषण, साज, सामान और तस्वीरों का सुन्दर और अद्वितीय होना महत्वपूर्ण नहीं,
महत्वपूर्ण है वैवाहिक जीवन के एक एक पल का सुन्दर और प्रेमपूर्ण होना,
जीवन की हर परीक्षा में एक दूसरे के साथ होना, एक दूसरे के लिए त्याग कि भावना का होना!
तुम प्रेम की, त्याग की परिभाषा हो!!
माँ तुम महान हो,
तुम देवी हो, तुम पूर्ण हो, तुम मेरा मान सम्मान और अभिमान हो माँ!!
मुझे गर्व हैं कि मैँ तुम्हारा एक हिस्सा हूँ, जीवन सफल मानूंगी अपना जो किंचित भी बन पायी मैँ तुम्हारी तरह माँ!!
......तुम्हारी दिशा
Happy Mother's Day to all the mothers out there!!
आपकी कविता में पूर्ण वाक्य हैं।दो तीन अशुद्धियाँ हैं।कविता में लय ,गति का सही संतुलन अपेक्षित है।पर कविता बहुत अच्छी है।और भी लिखें।
ReplyDeleteBahot hi sunder....🙏🙏🙏
ReplyDeleteBeautiful. आप इससे बेहतर लिख सकती हैं।
ReplyDeleteBeautiful.. keep writing n creating
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